मेसर - अन्तरिक्ष के क्षेत्र में होता है व्यापक इस्तेमाल ➨
मेसर तरंगे काफी हद तक लेजर किरणों जैसी ही है | मेसर शब्द माइक्रोवेव एप्लीफिकेशन बाय स्टिमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन का संक्षिप्त रूप है , जिसका हिंदी रूपांतरण है ' विकिरण के दीपित उद्दीपित उत्सर्जन द्वारा सूक्ष्म तरंगों का परिवर्तन' | मेसर के आविष्कार का श्रेय तीन वैज्ञानिकों जेपी गोरेडन, एचजेगीगर , सीएच टाउंस को जाता है |
मेसर भी उसी सिद्धांत पर कार्य करता है , जिस सिद्धांत पर लेजर कार्य करता है | लेजर और मेसर में एक अंतर यह है , कि लेजर में प्रकाश किरणे उत्पन्न होती है जबकि लेसर में सूक्ष्म तरंगें पैदा होती है | सबसे पहले मेसर का निर्माण वर्ष 1954 सीएच टाउंस और उनके सहयोगियों ने किया था | मेसर के आविष्कार ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया अध्याय जोड़ दिया |
इन तरंगों का प्रयोग रडार में करके उपग्रहों की सटीक स्थिति का पता लगाया जाता है , तथा विभिन्न ग्रहों के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त की जाती है | समुद्र के अंदर संदेश भेजने में भी मेसर तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है | लेजर की भांति इन तरंगों के द्वारा भी ऑपरेशन , आँख के ट्यूमर इत्यादि का इलाज किया जाता है |
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