सच और झूट का पता लगाने की मशीन का सफल परिक्षण ➨


पॉलीग्राफ एक ऐसा यंत्र है , जो व्यक्ति के रक्तचाप नब्ज-दर  सांस की गति और त्वचा की संचालकता के आधार पर इस बात की पहचान करता है कि वह सच बोल रहा है या झूठ | इस झूठ पकड़ने वाली मशीन का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है | वर्ष 1885 में इतालवी अपराधविज्ञानी सीजर लोम्ब्रोसो ने पहली बार एक ऐसी मशीन बनाई . जो रक्तचाप के आधार पर सच-झूठ की पहचान करती थी |

 1904 पर वित्तोरीयों बेनुसी नामक एक विज्ञानी ने व्यक्ति की  स्वास  के आधार पर झूठ पकड़ने वाला यंत्र बनाया | वर्ष 1921 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी से जुड़े जॉन लार्सन ने पहली पॉलीग्राफिक मशीन तैयार की , जो व्यक्ति के रक्तचाप और त्वचा की प्रतिक्रिया के आधार पर सच-झूठ की पहचान कर थी | पुलिस विभाग द्वारा 1924 में पहली बार इस मशीन का इस्तेमाल किया गया |

 लियोनार्ड किलर ने इस मशीन में कुछ सुधार करते हुए अपने नाम से नई पॉलीग्राफ मशीन बनाई | उन्होंने वर्ष 1935 में 2 फरवरी को अमेरिका के विस्कॉन्सिन प्रान्त के पोर्टेज में दो संदिग्ध अपराधियों पर अपने इस यंत्र का प्रथम परीक्षण किया , जिसके नतीजों को बतौर सबूत अदालत में पेश किया गया |

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