पांच सौ साल बाद भी बात करती तस्वीरे ➡
➢ यूरोपीय नवजागरण का कोई जिक्र लिओनार्दो द विंची/ Leonardo da Vinci के नाम के बगैर पूरा नहीं होता | अपने जीवन में ही उनकी प्रसिद्धि का यह आलम था कि फ्रांस का राजा उन्हें किसी मुकुट या पदक की तरह अपने साथ रखता और सम्मान देता था | इटली के लेखक जियोर्जिया वासरी / Giorgia Vasari ने लिओनार्दो के बारे में लिखते हुए कहा था, 'यू तो बहुत से लोग असाधारण प्रतिभाओं के साथ जन्म लेते है , लेकिन ऐसा कभी-कभार होता है कि कोई अपनी प्रतिभा में समय व प्रकृति के पार चला जाता है , वह स्वर्गीय सौन्दर्य का प्रतिक हो जाता है |
➢ लिओनार्दो का जन्म 15 अप्रैल , 1452 को फ्लोरेंस के निकट विंसी में हुआ था | उनके पिता विंसी के बड़े लेखाधिकारी थे | जन्म के बाद उनकी मां ने किसी अन्य व्यक्ति से विवाह कर लिया और उनके पालन-पोषण की सारी जिम्मेदारी पिता ने संभाली | वही उन्हें ऊँची शिक्षा और साहित्य व कलाओं की संगत मिली |
संगीत और चित्रकारी में रूचि /Interest in music and painting-
➢ लिओनार्दो कमाल के संगीतकार भी थे और इतिहास की किताबो में उनके चित्रों के अलावा खुद लिओनार्दो के अप्रतिम सौन्दर्य का भी जिक्र मिलता है | 1478 तक वे एक स्वतंत्र कलाकार के रूप में ख्यात हो चुके थे , जो बहुत अस्थिर मन:स्थिति का था | उनमे नवीनता और उंचाई की इस कदर तलाश थी की वह किसी भी एक काम को बहुत दूर तक स्थिर होकर नहीं कर सकता था |
➢ यही कारण था की 17 साल की लम्बी अवधि में लिओनार्दो ने मात्र छह तस्वीरे बनाई , लेकिन जो कला के इतिहास में अब तक की महान कृतिया है | मोनालिसा , द लास्ट सपर , द वर्जिन ऑन द रॉक्स , वर्जिन एंड ए चाइल्ड फ्लोरेंस और लूव्र के संग्रहालयो में सुरक्षित है | पांच सदी बाद भी वे ऐसे मौजूद है , मानो कल की बात हो | वे सचमुच अपने समय से परे थे |
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